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RAIL NEWS CENTER

4/17/2024

Holding of Selections for promotions to Group 'B' post of Law Officer on the Railways - Authorities for setting up of Question Papers and evaluation of Answer Sheets.

GOVERNMENT OF INDIA 
MINISTRY OF RAILWAY
 (RAILWAY BOARD)


RBE. No. 34/2024

No. E(GP)2001/2/32

New Delhi, dated: 12.04.2024

The General Managers, All Indian Railways & Production Units.

(Kind attn.: PCPOs/PFAs/Dy. CPO(G)/ Dy. CAO(G))

Sub.: Holding of Selections for promotions to Group 'B' post of Law Officer on the Railways - Authorities for setting up of Question Papers and evaluation of Answer Sheets.

Ref.: Board's letters no. E(GP)2018/2/31 dt.19.03.2019, 20.07.2020 and 13.12.2021.

Please refer to instructions contained in Board's letters no. E(GP)2018/2/31 dt.19.03.2019, 20.07.2020 and 13.12.2021 regarding authorities for setting up the question papers and evaluation of answer sheets for written examinations held as part of Selections/LDCEs including pre-qualifying examination of LDCES for promotion to Group 'B' posts. It has now been decided by the Board that for holding Selections for promotions to Group 'B' post of Law Officer, HAG/SAG officer of any department with law background on the concerned Railway or contiguous Railway may be nominated for setting up the Question Paper as well as for carrying out the evaluation work, with approval of the concerned General Manager.

2. This also disposes of reference received from Central Railway vide their letter no.P/CR/HQ/Gaz-Sel./260/4/LO/Selection-2 dt. 26.02.24.


(Pallavi Goswami) 
Dir. Establishment (Gaz. Cadre)
Railway Board

Ph No. 23047183

E. Mail Id- pallavi.goswami@gov.in



Preparation and submission of Detailed Project Report (DPR) for New Line/Multi tracking/Gauge conversion.

भारत सरकार / Government of India 
रेल मंत्रालय / Ministry of Railways 
(रेलवेबोर्ड / Railway Board)


No. 2018/W-I/Genl./Policy

New Delhi, dated: 10/01/2024

The General Manager, All Indian Railways,

Sub: Preparation and submission of Detailed Project Report (DPR) for New Line/Multi tracking/Gauge conversion.

Ref: (i). Railway Board Letter No. 2022/W-I/Genl./DPR Performa dated 02.09.2022 & 13.12.2023.


Vide reference (i) above, detailed guidelines for preparation of DPR has been reiterated recently, elaborating the various activities along with PPT format.

4/14/2024

Master Circular No. 35 - सेवानिवृत्ति (Retirement) (New)

मास्टर परिपत्र सं. 35 (Updated सितम्बर 2019)

भारत सरकार/GOVERNMENT OF INDIA

रेल मंत्रालय/MINISTRY OF RAILWAYS

  रेलवे बोर्ड/RAILWAY BOARD)

सं.ई (पी एंड ए)।-2019/आरटी-10                           नई दिल्ली, दिनांक: 09 सितंबर 2019

 

महाप्रबंधक, सभी भारतीय रेलें

 (डाक सूची के अनुसार)


विषयः- सेवानिवृत्ति ।

 

संदर्भ:- रेलवे बोर्ड का दि.19.09.1991 का पत्र सं.ई (पी एंड ए)।-91/आरटी-2/मास्टर सर्कुलर।

 

वर्तमान में, 'रेल सेवकों की सेवानिवृत्ति' विषय पर रेलवे बोर्ड द्वारा समय-समय पर जारी किए गए अनुदेश विभिन्न पत्रों/परिपत्रों में समाविष्ट हैं। इस विषय पर अंतिम मास्टर परिपत्र बोर्ड के दिनांक 19.09.1991 के पत्र सं.ई (पी एंड ए)।-91/आरटी-2/ मास्टर सर्कुलर के तहत जारी किया गया था। रेलवे बोर्ड द्वारा सभी संबंधितों के सूचना और मार्गदर्शन के लिए इन अनुदेशों की समीक्षा करके इन्हें निम्नानुसार एकल अद्यतन मास्टर परिपत्र में समेकित करने का विनिश्चय किया गया है।

सामान्यः

2. सेवानिवृत्ति से आशय एक रेल कर्मचारी की सेवा समाप्त हो जाने से है। जिन विभिन्न तरीकों से रेल कर्मचारी की सेवाएं समाप्त हो सकती हैं, वे इस प्रकार हैं:-

i. अधिवर्षिता पर सामान्य सेवानिवृत्तिः

ii. चिकित्सा की दृष्टि से अशक्त होने के कारण सेवानिवृत्तिः

iii. सार्वजनिक हित में समय-पूर्व किए गए सेवानिवृत्ति के आदेश; तथा

iv. स्वयं के विकल्प पर समय-पूर्व/स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ।

 

क - सामान्य सेवानिवृत्ति

3. नीचे पैरा 3.1 तथा 3.2 में उल्लिखित कर्मचारियों को छोड़कर, प्रत्येक रेल कर्मचारी अधिवर्षिता की आयु अर्थात साठ वर्ष की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त होगा।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 14.05.1998 का पत्र सं.ई (पी एंड ए)1-98/आरटी-6 (आरबीई सं. 103/98) और भारतीय रेलवे स्थापना संहिता, वाल्यूम II/1987 का नियम 1801 (क)

 

3.1 रेलवे डिग्री कॉलेज, लालागुडा, दक्षिण मध्य रेलवे के लेक्चरर 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्त होंगे।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 13.12.2007 का पत्र सं. ई (पी एंड ए)।-2007/आरटी-8 (आरबीई सं.161/2007)

 

3.2. रेल मंत्रालय के अधीन आईआरएमएम से संबद्ध डाक्टरों और डेंटल डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु बासठ (62) वर्ष होगी जब तक वे अपनी इच्छानुसार विशेषज्ञता और अनुभव के आधार पर क्लिनिकल पद पर तैनाती का विकल्प नहीं देते हैं कि वे पैंसठ (65) वर्ष की आयु तक सेवा करना चाहते हैं। जैसा कि रेल मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी द्वारा समय-समय पर विनिश्चय किया जाता है।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 20.09.2018 का पत्र सं.ई (पी एंड ए)।-2016/आरटी-16 आरबीई सं.144/2018)

सामान्य सेवानिवृत्ति की तारीख

 

4. सेवानिवृत्ति की तारीख रेल कर्मचारी की जन्मतिथि पर आधारित होगी, जिसे उनकी सेवा पुस्तिका सेवा रजिस्टर में दर्ज किया गया हो तथा निम्न प्रकार से दिखायी जाएगीः-

 

जन्म तिथि               60/62/65 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्ति की तारीख

 

महीने की पहली तारीख        पूर्ववर्ती महीने के अंतिम दिन का अपराह्न ।

महीने की कोई अन्य तारीख          उस महीने की आखिरी तारीख का अपराह्न ।

(संदर्भ: बोर्ड का 18.12.1973, 20.5.1974 और 2.8.1974 का पत्र सं. पीसी-III/73/आरटी/4 और दिनांक 20.02.2019 का सं.ई (पी एंड ए)।-2016/आरटी-16 (आरबीई सं.30/2019).

 

4.1 सेवानिवृत्ति के अन्य मामलों में अर्थात् डाक्टरी दृष्टि से अनुपयुक्तता अथवा अशक्तता के कारण सेवानिवृत्ति, समयपूर्व सेवानिवृत्ति, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति इत्यादि पर उपर्युक्त पैरा 4 में दिए गए प्रावधान लागू नहीं होंगे।

 

कार्यभार छोडना

 

5. अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्ति स्वतः हो जाती है तथा सक्षम प्राधिकारी द्वारा इसके प्रतिकूल कोई विशेष आदेश न दिए गए हों, रेल कर्मचारी निर्धारित तारीख को ही सेवानिवृत्त होगा तथा वह इसका लाभ नहीं उठा सकता कि उसे उसकी सेवानिवृत्ति, कार्यभार मुक्ति इत्यादि से संबंधित औपचारिक आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं।

यह सुनिश्चित करना संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों का दायित्व है कि उनके नियंत्रणाधीन रेल कर्मचारी अधिवर्षिता को आयु प्राप्त करने पर निर्धारित तारीख को सेवानिवृत्त होते हैं। रेल कर्मचारी को भी स्वयं चाहिए की वह जिस कार्यालय में काम कर रहा है उसके प्रमुख की सूचना में इस तथ्य को लाए कि वह अधिवर्षिता को आयु प्राप्त कर रहा है तथा उसे निर्धारित तारीख को अपना कार्यभार, कार्यभार मुक्त करने वाले कर्मचारी अथवा किसी अन्य रेल कर्मचारी, जो नामांकित किया जाए, को सौंप दे।

(संदर्भ:- बोर्ड का 7.5.79 का पत्र सं.ई (पी एंड ए)।-79/ईएम 1/2)

 

5.1 संबंधित प्रशासनिक प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि रेल कर्मचारियों के वैयक्तिक रिकार्डों को सदैव अद्यतन रखने के लिए उनके नियंत्रणाधीन तंत्र तत्पर रहें ताकि अधिवार्षिता की आयु के पश्चात्, अनियमित रूप से रेल कर्मचारी के सेवा में बने रहने की किसी भी संभाव्यता को रोका जा सके।

(संदर्भ: बोर्ड का दि. 3.7.78 का पत्र सं.ई (जी)/78/आरटी/2/10)

 

 

उस दिन कार्यभार छोड़ना जब सेवानिवृत्ति की तारीख को अवकाश का दिन हो।

6. सेवानिवृत्त हो रहे रेल कर्मचारी को, उस महीने के अंतिम दिन के अपराह्न को औपचारिक रूप से अपने पद का कार्यभार/कार्यालय छोड़ देना चाहिए जिस महीने में उसे सेवानिवृत्त होना है, चाहे वह दिन अवकाश ही हो। जहां रोकड़/भंडार/सामग्री सौंपी जानी है, वहां सेवानिवृत्त होने वाले रेल कर्मचारी द्वारा इसे कार्यभार मुक्त करने वाले रेल कर्मचारी अथवा प्रशासन द्वारा नामांकित किसी अन्य रेल कर्मचारी को पिछले कार्य दिवस की समाप्ति पर सौंप दिया जाना चाहिए तथा वास्तविक कार्यभार महीने के आखिरी दिन (जो कि अवकाश है) सौंपा जाना चाहिए जिसके लिए इस बात पर जोर नहीं दिया जाना चाहिए कि वह स्वयं भी कार्यालय में उपस्थित रहे।

(संदर्भ:- रेलवे बोर्ड का 6.6.1977 का पत्र सं. पीसी-III/73/आरटी/4)

 

निलंबनाधीन रेल कर्मचारी की सेवानिवृत्ति

7. निलंबनाधीन पेंशनयोग्य रेल कर्मचारी को अधिवर्षिता की निर्धारित तारीख को सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए चाहे उसके विरुद्ध लगाए गए आरोपों की जांच चल ही रही हो।

 

7.1 गैर-पेंशनी रेल कर्मचारियों के मामले में, सक्षम प्राधिकारी को गुण-दोष के आधार पर प्रत्येक मामले में एक विशिष्ट निर्णय लेना होगा कि निलंबनाधीन रेल कर्मचारी को अधिवर्षिता की आयु के पश्चात् सेवा में बनाए रखा जाए अथवा नहीं। किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए, नीचे दी गई बातों को ध्यान में रखना होगा। केवल उन्हीं मामलों में, जहां बरखास्तगी की संभावना लगभग निश्चित हो तथा इस बात की बिल्कुल संभावना है कि कर्मचारी को भविष्य निधि में सरकार के अंशदान से इंकार किया जा सकता है, निलंबित रेल कर्मचारी को अधिवर्षिता की तारीख के बाद भी सेवा में बनाए रखा जा सकता है। अन्य मामलों में, जहां बरखास्त किए जाने की संभावना नहीं है, संबंधित रेल कर्मचारी अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करने पर सेवानिवृत्ति हो जाएंगे बशर्ते कि भविष्य निधि में विशेष अंशदान रोक दिया जाए तथा भविष्य निधि नियमों के अनुसार भविष्य निधि में सरकार के अंशदान का निपटारा स्थगित रखा जाए जब तक कि किसी मामले विशेष में अपवादस्वरूप ऐसा करने की आवश्यकता न हो। तथापि ऐसे मामलों में विभागीय कार्रवाई चालू रहेगी तथा शीघ्रता से उसे अंतिम रूप दिया जाएगा ताकि ऐसी कार्यवाहियों में निश्चित की गयी दायिताएं भविष्य निधि में सरकारी अंशदान की उस राशि के अंतर्गत समायोजित की जा सकें, जिन्हें रोक दिया गया था। अधिवर्षिता की तारीख के पश्चात रेल कर्मचारियों को सेवा में बनाए रखने के वैयक्तिक मामलों में अपवाद स्वरूप निर्णय करते समय, इन बातों पर समुचित ध्यान देना होगा कि ऐसे कर्मचारियों को निलंबन की अवधि के दौरान निर्वाह भत्ता दिया जाना है तथा पूरा वेतन तथा भत्ता दिया जाना है जिसके लिए वे पात्र होंगे यदि उनके विरुद्ध लगाए गए आरोपों से उन्हें पूर्णतया मुक्त कर दिया जाता है तथा भविष्य निधि नियमों के अनुसार कटौतियां भविष्य निधि में सरकारी अंशदान से केवल की जा सकती हैं।

(संदर्भ: भारतीय रेलवे स्थापना संहिता, वाल्यूम-II/1987 पुनर्मुद्रित संस्करण 2005 के अंतर्गत बोर्ड के आदेशों के साथ पठित नियम 1801 (सी)

 

7.2 छुट्टी स्वीकृत करने वाला सक्षम प्राधिकारी औसत वेतन अवकाश और अर्ध औसत वेतन अवकाश दोनों के समतुल्य नकदी को पूर्णतः या आंशिक रूप से रोक सकता है यदि कोई रेल कर्मचारी सेवानिवृत्ति की आयु प्राप्त करने पर उस समय सेवानिवृत्त हो जाता है जब वह निलंबनाधीन है अथवा जब उसके विरुद्ध अनुशासनिक या आपराधिक कार्रवाई चल रही हो, यदि ऐसे प्राधिकारी की राय से उस रेल कर्मचारी के विरुद्ध चल रही कार्यवाहियों की समाप्ति पर उससे कुछ राशि वसूल करने की संभावना हो। कार्यवाहियों की समाप्ति पर, रेलवे की बकाया राशि, यदि कोई हो, समायोजित करने के पश्चात वह रोकी गयी रकम के लिए पात्र हो जाएगा।

 

(संदर्भ: रेलवे बोर्ड का 29.12.83 का पत्र सं.एफ (ई) III/82-एलई 1/2 और दिनांक 13.04.2010 का सं.एफ (ई)III/2008/एलई/1/2)

 

ख - शारीरिक अशक्तता अथवा असमर्थता के कारण सेवानिवृत्ति

 

8. जहां सक्षम प्राधिकारी यह समझे कि रेल कर्मचारी संक्रामक रोग अथवा मानसिक या शारीरिक असमर्थता से पीड़ित है, जो कि उक्त प्राधिकारी की राय में उस रेल कर्मचारी द्वारा कार्यों के कुशलता निर्वहन में बाधा डाल रहा है, तो उक्त प्राधिकारी, उस रेल कर्मचारी की डाक्टरी जांच करा सकता है। यदि डाक्टरी जांच में रेल कर्मचारी को नौकरी में बने रहने के अनुपयुक्त घोषित किया जाता है, तो सक्षम प्राधिकारी डाक्टरी दृष्टि के आधार पर उन्हें अयोग्य ठहरा सकते हैं तथा सेवानिवृत्त कर सकते हैं। यदि रेल कर्मचारी ड्यूटी पर हो तो मुक्त किए जाने की तारीख से वह सेवा के लिए अशक्त हो जाएगा और चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट प्राप्त होने पर इसकी अविलंब व्यवस्था कर दी जानी चाहिए। तथापि, यदि चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट प्राप्त होने पर रेल कर्मचारी को छुट्टी स्वीकृत की जाती है अथवा वह पहले से ही छुट्टी पर है तो छुट्टी की समाप्ति छुट्टी की बढ़ायी गयी अवधि, यदि कोई स्वीकृत की गयी है, की तारीख के बाद की तारीख से उनकी शारीरिक अशक्तता तथा सेवानिवृत्ति प्रभावी होगी।

(संदर्भ: भारतीय रेल स्थापना संहिता पैरा 2603)

 

8.1 वे रेल कर्मचारी, स्थायी तथा अस्थायी दोनों ही, जो उनके द्वारा धारित पदों में नौकरी करने के लिए डाक्टरी दृष्टि से अनुपयुक्त घोषित कर दिए जाते हैं, परंतु उन पदों पर नौकरी करने के लिए उपयुक्त घोषित किए जाते हैं, जो निचली चिकित्सा कोटि में आते हैं, ऐसे पदों में सेवा में बने रहने के लिए पात्र हैं, जिनके लिए निम्न चिकित्सा कोटि अपेक्षित है। सामान्यतः ऐसे व्यक्तियों को उनके निम्न चिकित्सा स्तर के अनुरूप पदों पर वैकल्पिक नियोजन प्रदान किया जाता है। लेकिन, जहां अस्थायी कर्मचारी ऐसी परिस्थितयों के कारण डाक्टरी दृष्टि से विकोटिकृत कर दिए जाते हैं, जो नियोजन के कारण तथा उसके दौरान उत्पन्न नहीं होती हैं और रेल कर्मचारियों को नियमों के अतर्गत यथा स्वीकार्य स्वीकृत की गयी छुट्टी बढ़ायी गयी छुट्टी/असाधारण छुट्टी की अवधि के अंदर वैकल्पिक नौकरी की व्यवस्था नहीं हो पाती है तो कर्मचारियों को नौकरी से बरखास्त कर दिया जाना चाहिए। जहां वैकल्पिक नौकरी को पेशकश (एक या अधिक पेशकश) अस्वीकृत कर दी जाती है, संबंधित रेल कर्मचारी को सेवानिवृकत्त कर दिया जाना चाहिए।

(संदर्भ: भारतीय रेल स्थापना संहिता, वाल्यूम 1/1985-नियम 304)

 

8.2 किसी भी रेल कर्मचारी को, जिसे चिकित्सा अधिकारी द्वारा आगे सेवा के लिए पूर्णतया तथा स्थायी तौर पर अयोग्य घोषित कर दिया जाता है, छुट्टी स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वतः ही नौकरी से उसकी अशक्तता की तारीख को देय तथा स्वीकार्य छुट्टी के लिए औसत छुट्टी वेतन और अर्ध औसत वेतन अवकाश दोनों के बराबर नकद राशि स्वीकृत की जाती है, जो अधिकतम 300 दिन और देय नकदी के समतुल्य होगी। जैसा कि नियम 550 के उप नियम (क) (1) (ख) में उल्लिखित है।

 

 

तथापि वे रेल कर्मचारी, जो स्थायी अथवा अस्थायी रूप से 3 वर्ष से अधिक समय से कार्य नहीं कर रहे हैं, उन्हें नौकरी से उनकी अयोग्यता की तारीख को उनके नाम में जमा आधे वेतन अवकाश के लिए अवकाश वेतन के बराबर राशि प्रदान नहीं की जाएगी।

(संदर्भ: रेलवे बोर्ड का दिनांक 13.04.2010 का पत्र सं. एफ (ई) III/2008/एलई-1/2)

ग - समयपूर्व सेवानिवृत्ति

 

9. समयपूर्व सेवानिवृत्ति से आशय अधिवर्षिता की आयु प्राप्त करने से पहले या तो उसकी स्वयं की इच्छा से अथवा सक्षम प्राधिकारी द्वारा जनहित में जारी किए गए आदेश के परिणामस्वरूप एक रेल कर्मचारी की सेवानिवृत्ति से है। यह रेल कर्मचारी द्वारा मांगी गया स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति तथा रेल कर्मचारी (अनुशासन एवं अपील) नियमों के अध्यधीन दंड के रूप में आदेशित अनिवार्य सेवानिवृत्ति से अलग है।

 

9.1 नियुक्ति करने वाले अधिकारी को यह अधिकार है कि वह जनहित में एक रेल कर्मचारी को निम्नलिखित कोटियों में से किसी भी एक कोटि के अंतर्गत लिखित में उसे कम-से-कम तीन महीने का नोटिस देकर अथवा उसके बदले उसे वेतन तथा भत्ते देकर सेवानिवृत्त कर सकता है:-

क. ग्रुप "ए" अथवा "बी" सेवा अथवा पद पर मूल रूप से या अस्थायी आधार पर कार्य कर रहा वह रेल कर्मचारी, जिसने पैंतीस वर्ष की आयु से पहले सरकारी नौकरी में प्रवेश किया था, उसे पचपन वर्ष की आयु पूरी होने के पश्चात सेवानिवृत्त किया जा सकता है,

ख. किसी अन्य मामले में, उनकी उम्र 55 वर्ष होने के बाद।

ग. पेंशनयोग्य रेल कर्मचारियों की तीस वर्ष की अर्हक सेवा पूरी होने के बाद; और

घ. गैर-पेंशनयोग्य रेल कर्मचारियों की तीस वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद।

(संदर्भ: स्थापना संहिता वाल्यूम II/1973 नियम 2046 (ज), 2046 (ट) के अनुरूप स्थापना संहिता वाल्यूम II/1987 का नियम 1802 (क), 1803 (क), 1804 (क) और रेल सेवा (पेंशन) नियम, 1993 के नियम 66)

 

9.2 रेल कर्मचारियों को भी उपर्युक्त पैरा 9.1 में यथा निर्धारित उन्हीं शर्तों पर उपयुक्त अधिकारी को तीन महीने की लिखित सूचना देकर समयपूर्व सेवानिवृत्ति लेने का अन्योन्य अधिकार है, अर्थात्

 

(क) ग्रुप "ए" अथवा "बी" रेल कर्मचारी ने यदि पैंतीस वर्ष की आयु से पहले सेवा में प्रवेश किया हो तो वह पचास वर्ष की आयु पूरी होने के पश्चात् सेवानिवृत्ति की मांग कर सकता है; यदि उसने पैंतीस वर्ष की आयु के बाद सेवा में प्रवेश किया हो तो वह पचपन वर्ष की आयु पूरी होने के बाद सेवानिवृत्ति की मांग कर सकता है;

 

(ख) कोई अन्य रेल कर्मचारी पचपन वर्ष की आयु पूरी होने पर सेवानिवृत्ति की मांग कर सकता है;

 

(ग) पेंशन योग्य रेल कर्मचारी तीस वर्ष की अर्हक सेवा पूरी होने के बाद सेवानिवृत्ति की मांग कर सकते हैं।

 

(घ) गैर-पेंशनी रेल कर्मचारी तीस वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद सेवानिवृत्ति की मांग कर सकते हैं।

(संदर्भ: स्थापना संहिता वाल्यूम II/1973 नियम 2046 के अनुरूप स्थापना संहिता वाल्यूम II/1987 के नियम 1802 (ख), 1803 (ख), 1804 (ख) और रेल सेवा (पेंशन) नियम, 1993 के नियम 66)

 

9.3 पेंशन योग्य रेल कर्मचारी को तीस वर्ष की अर्हक सेवा पूरी होने पर सेवानिवृत्त किए जाने के लिए अपेक्षित आदेश/अनुमति नियमतः तब तक जारी नहीं किया जाना चाहिए जब तक कि संबंधित लेखा अधिकारी के परामर्श से यह बात सत्यापित नहीं हो जाती कि रेल कर्मचारी ने तीस वर्षों की अर्हक सेवा पूरी कर ली है।

 

9.4 उपयुक्त अधिकारी इस बात के लिए स्वतंत्र है कि वह निलंबनाधीन रेल कर्मचारी की इस अनुमति को रोक सकता है जो अपेक्षित नोटिस देकर समयपूर्व सेवानिवृत्ति चाहता है। उपयुक्त अधिकारी को यह भी अधिकार है कि वह ऐसे रेल कर्मचारी जिसे सेवानिवृत्ति के लिए नोटिस देने के पश्चात निलंबित किया गया हो, को अनुमति देने से इंकार कर दे; परन्तु उक्त अधिकारी द्वारा ऐसे अधिकार का प्रयोग दिए गए नोटिस की अवधि की समाप्ति से पूर्व किया जाएगा।

(संदर्भ: नियम 1802 (ख), 1803 (ख) तथा 1805 के नीचे भारत सरकार के आदेश सं. (3) स्था. संहिता वाल्यूम II/1987, रेल सेवा (पेंशन) नियम, 1993 के नियम 66)

 

9.5 नियम 1802 (ख) (1), 1803 (ख) अथवा 1804 (ख) आर. II/1987 के अनुरूप नियम 2046(i) अथवा 2024(1) (आर.II) (1973) के अनुसार रेल कर्मचारी द्वारा मांगी गयी समयपूर्व सेवानिवृत्ति के नोटिस की स्वीकृति के लिए किसी औपचारिक आदेश की आवश्यकता नहीं है तथा रेल कर्मचारी को नोटिस की तीन महीने की अवधि की समाप्ति पर स्वतः ही सेवानिवृत्त हुआ समझा जाएगा। निलंबनाधीन रेल कर्मचारियों के मामले में, जबकि नियुक्ति करने वाले प्राधिकारी को, निःसंदेह, अनुमति रोकने का अधिकार है, फिर भी उनके द्वारा दिए गए तीन महीने के नोटिस की अवधि के अंदर संबंधित रेल कर्मचारी को संसूचित करने में असफल रहने पर उनकी सेवानिवृत्ति की अनुमति को रोकने वाले आदेशों को सूचना अवधि की समाप्ति पर स्वतः ही उनकी सेवानिवृत्ति हो जाएगी।

(संदर्भ:- बोर्ड का 1.6.81 का पत्र सं. ई (पी एण्ड ए) 1-81/आरटी-4 तथा 3.11.83 का पत्र सं. ई (पी एण्ड ए)1-83/आरटी/11)

 

9.6 नियम 2046 (i) अथवा नियम 2046 (1) (स्थापना नियम आर।। 1987 संस्करण के नियम 1802 (ख) एवं 1804 (ख)/नियम 1803 (ख)-आर.।। के अनुरूप अथवा रेल सेवा (पेंशन) नियमावली 1993 के नियम 66) के अध्यधीन स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का नोटिस देने वाला रेल कर्मचारी केवल नियुक्ति करने वाले प्राधिकारी के विशेष आदेश पर ही सेवानिवृत्ति की अभीष्ट तारीख से पहले अपना नोटिस वापस ले सकता है।

[संदर्भ: बोर्ड के दिनांक 6.11.1990 के पत्र सं. ई (पी एण्ड ए) 1-90/आरटी-18 (आरबीई 196/1990)]

 

9.7 रेल कर्मचारी को सेवानिवृत्त किए जाने के लिए तीन महीने का नोटिस दिया जा सकता है जब रेल कर्मचारी असाधारण अवकाश सहित अवकाश पर हो।

(संदर्भ: बोर्ड का 8.9.67 का पत्र सं. पीसी-67/आरटी/9)

 

10. यदि कोई रेल सेवक नियम 2046-आर।।/1973 के तदनुरूप आईआरईसी वाल्यूम-11/1987 के नियम 1802, 1803, 1804 या रेल सेवा (पेंशन) नियम, 1993 के नियम 66 के अंतर्गत समयपूर्व सेवानिवृत्त हो जाता है और उसे तीन माह की सूचना के बदले वेतन और भत्ते दिए जाते हैं तो यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस प्रकार की सेवानिवृत्ति रेल सेवक को दिए गए वेतन और भत्ते की गणना उसके सेवानिवृत्ति के समय उसे प्राप्त वेतन और भत्तों में से केवल सांविधिक कटौतियों जैसे कि आयकर, को कम करके की गई है। रेल सेवक के पास बाकी अन्य सभी बकाए जैसे कि गृह निर्माण अग्रिम/वाहन भत्ता, मकान किराया, यात्रा भत्ता, सीजीएचएस अंशदान आदि, रेल पेंशन नियम, 1972 नियमावली के तहत देय उपदान से वसूल करने के लिए छोड़ देने चाहिए। वेतन और भत्तों का भुगतान समयपूर्व सेवानिवृत्ति के आदेश के साथ एक साथ करना चाहिए। नोटिस की अवधि के दौरान किसी वेतनवृद्धि, यदि कोई हो, का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए।

[संदर्भ: बोर्ड का दिनांक 24.12.1976 और 19.10.1978 का पत्र सं.ई (पी एण्ड ए)-75/आरटी-15 और दिनांक 14.12.1988 का पत्र सं.ई (पी एण्ड ए)।-88/आरटी-25 (आरबीई 269/1988)]

 

10.1 रेल कर्मचारी जो लिखित में तीन महीने का निर्धारित नोटिस देने के पश्चात् तीस वर्ष की अर्हक सेवा के पश्चात् परन्तु 60 वर्ष की आयु से पहले समयपूर्व सेवानिवृत्त हो जाता है, वह उसे मंजूर की जाने वाली सेवांत छुट्टी के लिए एकबारगी निपटारे के रूप में एकमुश्त यथा देय और स्वीकार्य छुट्टी वेतन तथा भत्तों, यदि कोई है, का पात्र है।

(संदर्भ: बोर्ड का दिनांक 5.9.79 का पत्र सं. ई (पी एण्ड ए)।-79/जेसीएम/डीसी-3 और दिनांक 14.05.1998 का पत्र सं. ई (पी एण्ड ए)।-98/आरटी-6)

 

10.2 जहां किसी रेल कर्मचारी, जो तीन महीने के नोटिस के बदले वेतन तथा भत्ते देकर समयपूर्व सेवानिवृत्ति हो गया हो, को समीक्षा करने पर इस शर्त पर बहाल किया जाता है कि बीच की अवधि अकार्य दिवस के रूप में समझी जाएगी, ऐसी अवधि के पहले तीन महीने ड्यूटी के रूप में तथा शेष अवधि अकार्य दिवस के रूप में समझी जाएगी। नोटिस के बदले पहले ही दिए जा चुके वेतन तथा भत्तों को वसूल करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 25.10.1982 का पत्र सं. ई (पी एण्ड ए)।-81/आरटी-11 (पार्ट 1)

10.3 रेलों पर नियुक्ति से पूर्व की गयी मिलीटरी सेवा को यदि वेतन, वरिष्ठता, रा. रे. भविष्य निधि के लाभों को निर्धारित करने के प्रयोजन से ध्यान में रखा जाता है तो नियम 1802, 1803 और 1804-आर. II/1987 के अधीन समयपूर्व सेवानिवृत्ति के लिए 30 वर्ष की सेवा की गणना करने के प्रयोजन के लिए भी उसे गिना जाएगा।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 6.8.1983 का पत्र सं. ई (पी एण्ड ए)।-82/आरटी-4)

 

10.4 जो रेल कर्मचारी समयपूर्व सेवानिवृत्त हो जाता है तथा जिसके पास रेलवे क्वार्टर है, उसे नोटिस की अवधि की समाप्ति की तारीख से एक महीने के लिए सामान्य किराए पर उस आवास को रखने की अनुमति दी जा सकती है। जहां नोटिस के बदले वेतन तथा भत्ते दिए गए हैं तथा कर्मचारी को छुट्टी स्वीकृत की जाती है, वहां छुट्टी की संपूर्ण अवधि के लिए सामान्य किराए पर आवास को रखने की अनुमति दी जा सकती है। लेकिन वह अवधि अधिक-से-अधिक 4 महीने होनी चाहिए। यदि छुट्टी एक महीने से कम हो अथवा यदि कोई भी छुट्टी स्वीकार्य नहीं है अथवा मंजूर नहीं की जाती है तो उस आवास को एक महीने के लिए सामान्य किराए पर रखने की अनुमति दी जा सकती है।

[संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 7.12.1977 का पत्र सं.एफ (एक्स) 1/75/11/8]

 

10.5 समयपूर्व/स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के मामलों में:-

(i) (क) जो रेल कर्मचारी सरकार को नोटिस देकर सेवानिवृत्त होता है अथवा उसकी सेवा-शर्तों के अनुसार उसे नोटिस देकर या ऐसे नोटिस के बदले वेतन तथा भत्ता देकर सेवानिवृत्त किया जाता है, उसे छुट्टी स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वतः ही उसके खाते में जमा औसत वेतन छुट्टी और अर्ध औसत वेतन दोनों के लिए छुट्टी वेतन के बराबर अधिकतम 300 दिनों की राशि स्वीकृत की जा सकती है। देय समकक्ष राशि वही होगी जो नियम 550 के उप नियम (ए) (1) (ख) के समान होगी।

 

(ख) पेंशन तथा पेंशन के समतुल्य अन्य सेवानिवृत्ति लाभ तथा पेंशन पर तदर्थ राहत/क्रमबद्ध राहत, अर्ध वेतन छुट्टी की अवधि, जिसके लिए नकदी के बराबर राशि देय है, यदि कोई हो, के लिए दिए गए छुट्टी वेतन में से घटा दी जाएगी।

 

(ग) इस विधि से परिकलित की गयी राशि का भुगतान एकबारगी निपटान के रूप में एकमुश्त कर दिया जाएगा। कोई मकान किराया भत्ता देय नहीं होगा।

 

बशर्ते कि यदि आधे वेतन के लिए अर्ध वेतन छुट्टी घटक पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के लिए कम पड़ता है तो अर्ध वेतन छुट्टी के समतुल्य राशि स्वीकृत नहीं की जाएगी;

 

बशर्ते कि एक रेल कर्मचारी, जिसे सरकार द्वारा नोटिस के बदले वेतन एवं भत्ता देकर सेवानिवृत्त कर दिया गया है, को उस अवधि के भीतर जिसके लिए उसे वेतन एवं भत्ते दिए गए हैं, छुट्टी के लिए आवेदन कर सकता है और जहां उसे छुट्टी स्वीकृत की जाती है वहां छुट्टी वेतन केवल छुट्टी की अवधि के लिए स्वीकार्य होगा जिसमें वह अवधि शामिल नहीं होगी जिसके लिए नोटिस के बदले वेतन एवं भत्ते स्वीकृत किए गए हैं।

 

(ii) जहां रेल कर्मचारी की सेवाएं नोटिस देकर अथवा नोटिस के बदले उसकी नियुक्ति की शर्तों के अनुसार वेतन एवं भत्तों की अदायगी करके समाप्त की जाती है वहां छुट्टी स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वतः ही सेवा की समाप्ति की तारीख को उसके लेखे में जमा औसत वेतन छुट्टी के लिए उसे समतुल्य राशि स्वीकृत की जाए बशर्ते कि यह अधिक से अधिक 300 दिन हो और देय के समतुल्य नगद राशि नियम 550 के उप नियम (क) (1) (ख) के अनुसार होगी। इस प्रकार परिकलित राशि का भुगतान एकबारगी निपटारे के रूप में एकमुश्त किया जाएगा। कोई मकान किराया भत्ता देय नहीं होगा। पुनर्नियोजित रेल कर्मचारियों के मामले में, समतुल्य नकद राशि लिए गए वेतन पर आधारित होगी और इसमें पेंशन तथा अन्य सेवानिवृत्ति लाभों के बराबर पेंशन शामिल होगी।

 

(iii) सेवानिवृत्ति के पश्चात पुनर्नियोजित रेल कर्मचारी उसके पुनर्नियोजन की समाप्ति पर छुट्टी स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वतः ही उसका पुर्नियोजन समाप्त किए जाने की तारीख पर उसके खाते में औसत वेतन छुट्टी के लिए नकद राशि स्वीकृत की जाए जो अधिक से अधिक 300 दिन होनी चाहिए और इसमें वह अवधि भी शामिल है जिसके लिए सेवानिवृत्ति के समय छुट्टी के बदले नकद राशि स्वीकृत की गयी थी और समान देय राशि वही होगी जो नियम 550 के उप नियम (क) (1) (ख) में है।

 

(iv) यदि अधिवर्षिता की आयु प्राप्त होने पर सेवा से सेवानिवृत्त होने वाला रेल सेवक निलंबित रहते हुए या उसके विरुद्ध अनुशासनिक या आपराधिक कार्यवाही लंबित होते हुए सेवानिवृत्त होता है और यदि ऐसे किसी प्राधिकारी की दृष्टि में, उसके विरुद्ध कार्यवाही समाप्त होने पर उससे कुछ राशि वसूल किए जाने की संभावना हो तो छुट्टी स्वीकृत करने वाला सक्षम प्राधिकारी द्वारा औसत वेतन छुट्टी और अर्ध औसत वेतन दोनों के बराबर कुल या उसका कुछ हिस्सा रोका जा सकता है। कार्यवाही समाप्त होने पर वह रेलवे बकाया, यदि कोई हो, को समायोजित करने के बाद इस प्रकार रोकी गई राशि प्राप्त करने के लिए पात्र होगा।

(संदर्भ:- रेलवे बोर्ड का 29.12.1983 का पत्र सं. एफ (ई) III/82/ एलई और एफ (ई) III/2008/एलई-1/2 दिनांक 13.04.2010)

 

(v) त्यागपत्र देने या सेवा छोड़ने के मामले में, रेल सेवक को छुट्टी स्वीकृत करने वाले सक्षम प्राधिकारी द्वारा सेवा की समाप्ति की तारीख को उसके खाते में औसत वेतन छुट्टी के लिए उसके खाते में ऐसी छुट्टी के आधे तक अधिकतम 150 दिनों के समतुल्य राशि स्वतः ही स्वीकृत कर दी जाए।

(संदर्भ: बोर्ड का दिनांक 29.12.83 का पत्र सं. एफ (ई) III/एलई 1/2 तथा दिनांक 13.04.2010 एफ (ई)III/2008/एलई-1/2 और 24.10.1986 का पीसी IV/86/एलई /1 (आरबीई 208/1986) और नियम 550-भारतीय रेल स्थापना संहिता वाल्यूम-1/1985)

 

घ - स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

 

11. प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिशों के आधार पर, रेल कर्मचारियों द्वारा बीस वर्ष की अर्हक सेवा/सेवा पूरी कर लेने के बाद, आनुपातिक पेंशन तथा उपदान /भविष्य निधि में आनुपातिक विशेष अंशदान तथा अर्हक सेवा/सेवा के लिए अधिकतम 5 वर्ष का लाभ देखते हुए 9.11.77 से उनके लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की एक योजना लागू की गयी है। इस योजना, जो पूर्णतः स्वैच्छिक है, के अंतर्गत रेल कर्मचारी को पहल करनी होती है और सरकार को अपनी ओर से रेल कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति का आदेश देने का अन्योन्य अधिकार नहीं है।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 9.11.1977 का पत्र सं. ई (पी एण्ड ए)।-77/आरटी-46)

 

जब रेल कर्मचारी की बीस वर्ष की न्यूनतम अर्हक सेवा पूरी हो जाएगी तो उसे पिछले 10 माह के दौरान प्राप्त परिलाभ या औसत परिलाभ का 50%, जो भी उसके लिए अधिक लाभकारी हो, पेंशन दी जाएगी।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 15.09.2008 का पत्र सं. एफ (ई) III/2008/पीएन 1/13)

 

नोटिस देने की अवधि

11.1 बीस वर्ष की अर्हक सेवा/सेवा के पश्चात स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के इच्छुक रेल कर्मचारी को लिखित रूप में तीन महीने का नोटिस नियुक्ति प्राधिकारी को देना चाहिए। पात्र मामलों में नियुक्ति प्राधिकारी तीन महीने से कम का नोटिस भी स्वीकार कर सकता है और जब पेंशन योग्य रेल कर्मचारियों के मामले में ऐसे 3 माह से कम का नोटिस स्वीकार किया जाता है तो उसमें यह विशिष्ट शर्त होनी चाहिए कि रेल कर्मचारी 3 माह के नोटिस की अवधि समाप्त होने से पहले अपने पेंशन के भाग के रूप में संराशीकरण के लिए आवेदन नहीं करेगा। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का नोटिस देने से पहले रेल कर्मचारी उपयुक्त प्रशासनिक प्राधिकारी को पत्र भेजकर स्वयं को संतुष्ट कर ले कि उसने पेंशन के लिए अर्हक बीस वर्ष की सेवा भविष्य निधि में विशेष अंशदान के लिए बीस वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, जैसा भी मामला हो।

(संदर्भ: बोर्ड का दिनांक 9.11.1977 का पत्र सं.ई (पी एण्ड ए) 1-77/आरटी-46 और दिनांक 13.07.1992 का पत्र सं.ई (पी एण्ड ए)।-92/आरटी-5 (आरबीई सं. 110/92)

 

नोटिस स्वीकार करने के लिए सक्षम प्राधिकारी

 

11.2 नियुक्ति प्राधिकारी द्वारा नोटिस स्वीकार करना आवश्यक है, जहां नोटिस की समाप्ति पर रेल कर्मचारी की सेवानिवृत्ति की तारीख उस तारीख से पहले होगी, जिस तारीख को नियम 2046(1)/ 1802(बी)-आर.।। अथवा नियम 1803 (बी) आर. ।। के अनुसार पेंशन के लिए 30 वर्ष की अर्हक सेवा पूरी करने पर वह समयपूर्व सेवानिवृत्त हो गया होता। महाप्रबंधक विभागाध्यक्ष तथा मंडल रेल प्रबंधकों को यह अधिकार है कि वे रेल कर्मचारी की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के नोटिस को निम्नानुसार स्वीकार कर सकते हैं। शक्तियों का इस्तेमाल प्राधिकारियों द्वारा वैयक्तिक रूप से किया जाएगा।

(i) महाप्रबंधक                (क) ग्रुप "बी" अधिकारी

                                    (ख) ग्रुप "सी" तथा "डी" रेल कर्मचारी

जहां नोटिस की अवधि तीन महीनों से कम हो, वहां पात्र मामलों में, वह वित्त सलाहकार एवं मुख्य लेखा अधिकारी के परामर्श से अपने प्राधिकार का प्रयोग करते हुए नोटिस स्वीकार कर सकता है।

(ii) विभागाध्यक्ष           मुख्यालयों तथा अतिरिक्त मंडल कार्यालयों में उनके, अधीन कार्यरत ग्रुप "सी" तथा ग्रुप "डी" रेल कर्मचारी

 

 जहां नोटिस की अवधि तीन महीनों से कम हो, वहां, वह सहवित्त के परामर्श से पात्र मामलों में अपने प्राधिकार का प्रयोग करते हुए नोटिस स्वीकार कर सकता है।

 

(iii) मंडल रेल प्रबंधक          उनके अधीन कार्यरत ग्रुप "सी" तथा ग्रुप "डी" रेल कर्मचारी

 

जहां नोटिस की अवधि तीन महीनों से कम हो, वहां, वह सहवित्त के परामर्श से पात्र मामलों मैं अपने प्राधिकार का प्रयोग करते हुए नोटिस स्वीकार कर सकता है।

 

उपरिनिर्दिष्ट प्राधिकारियों द्वारा सभी मामलों में नोटिस स्वीकार करना सतर्कता शाखा से तथा अ.अ.नि. की दृष्टि से क्लियरेंस मिलने के अध्यधीन होगा।

 

(संदर्भ:- बोर्ड का दि. 19.06.79, 26.5.80, 12.9.80 तथा 10.2.81 का पत्र सं.ई (पीएंडए)।-77/आरटी- 46)

 

11.3 जहां रेल कर्मचारी के विरुद्ध, जिसने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का नोटिस दिया है रेल कर्मचारी (अनुशासन एवं अपील) नियमों के अंतर्गत बड़े दंड की कार्रवाई लंबित है या करने का विचार है और अनुशासनिक प्राधिकारी, मामले की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए यह समझता है कि ऐसे मामले या मामलों में सेवा से हटाने या बर्खास्त करने का दंड देना अपेक्षित होगा, जहां संबंधित रेल कर्मचारी के विरुद्ध अभियोजन चलाने का विचार है अथवा न्यायालय में चलाया गया है, वहां ग्रुप "क" तथा "ख" रेल कर्मचारियों के संबंध में नोटिस को स्वीकार करने के लिए प्रभारी मंत्री तथा ग्रुप "ग" तथा ग्रुप "घ" के मामलों में महाप्रबंधक की स्वीकृति अपेक्षित है। अतः ग्रुप "क" तथा "ख" अधिकारियों के मामले में, महाप्रबंधक सलाह के लिए रेलवे बोर्ड को पत्र भेजते समय यह उल्लेख करें कि क्या संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध बड़े दंड आरोपित करने के लिए विभागीय/सतर्कता/वि.पु.स्था. जांच अथवा परिणामी डीएआर कार्यवाहियां लंबित हैं या करने का विचार है और क्या इन मामलों में सेवा से हटाना या बर्खास्त करना अपेक्षित होगा।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 09.11.1977 एवं 26.5.1980 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-77/आरटी-46)

 

11.4 स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए नोटिस देने वाला रेल कर्मचारी, जिसे स्वीकार करने के लिए नियुक्ति प्राधिकारी का अनुमोदन अपेक्षित है, यह मान सकता है कि नोटिस स्वीकार कर लिया गया है और नोटिस के अनुसार सेवानिवृत्ति प्रभावी मानी जाएगी जब तक नोटिस की अवधि की समाप्ति से पहले सक्षम प्राधिकारी इसके विपरीत आदेश जारी नहीं करता है।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 09.11.1977 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-77/आरटी-46)

 

11.5 राजपत्रित रेल कर्मचारियों के अन्य सभी मामलों में, जहां नोटिस स्वीकार करने के लिए बोर्ड/मंत्री का अनुमोदन आवश्यक है, वहां रेलवे बोर्ड के साथ पत्र-व्यवहार करने में निम्नलिखित अनुदेशों का अनुपालन किया जाना चाहिए:

 

(i) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का नोटिस प्राप्त होने पर, नोटिस स्वीकार करने के बारे में महाप्रबंधक की विशिष्ट सिफारिशों के साथ इसे तत्काल अग्रेषित किया जाए। यह कार्रवाई नोटिस प्राप्त होने के 2 सप्ताह के भीतर की जाए, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि मंत्रालय के पास मामले पर कार्रवाई करने तथा मंत्री का अनुमोदन प्राप्त करने के लिए पर्याप्त समय है।

 

(ii) वि.स.एवं. मु.ले. अधि. द्वारा विधिवत विधीक्षित स्पष्ट प्रमाणपत्र संलग्न किया जाए जिसमें यह प्रमाणित किया जाए कि अधिकारी ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का नोटिस देने के लिए अपेक्षित अर्हक सेवा (भविष्य निधि विकल्पी के मामले में सेवा) की अवधि पूरी कर ली है।

 

(iii) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के नोटिस के साथ किसी भी किस्म की कोई शर्त, जो भी हो, न लगाई जाए। ऐसे सशर्त नोटिस महाप्रबंधक के स्तर पर रद्द कर दिए जाने चाहिए।

 

(iv) नोटिस स्वीकार किए जाने की सिफारिश करते समय, महाप्रबंधक यह भी उल्लेख करें कि क्या संबंधित अधिकारी के विरुद्ध बड़ा दंड आरोपित करने के लिए कोई अनुशासनिक कार्यवाही लंबित है अथवा किए जाने का विचार है। यदि रेलवे को ऐसी किसी अनुशासनिक कार्यवाही के बारे में जानकारी नहीं है, जो लंबित है या किए जाने का विचार है, तो यह तथ्य सिफारिशों में शामिल किया जाना चाहिए। इसी प्रकार, सिफारिश में यह उल्लेख किया जाना चाहिए कि क्या अधिकारी के विरुद्ध न्यायालय में मुकदमा चलाने का विचार है या चला दिया गया है। यदि रेलवे को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है तो सिफारिशों में इसका भी उल्लेख किया जाना चाहिए।

 

(v) यदि अधिकारी चाहता है कि 3 महीने की निर्धारित अवधि की समाप्ति से पहले नोटिस स्वीकार कर लिया जाए तो उसे यह बात नोटिस में ही स्पष्ट कर देनी चाहिए।

 

 (vi) यदि कोई अधिकारी सक्षम प्राधिकारी द्वारा नोटिस स्वीकार किए जाने से पहले अपनी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की तारीख बदलना चाहता है तो वह नियंत्रण कार्यालय को अपना पहला नोटिस वापस लेने के लिए लिखे और नए सिरे से नोटिस दे।

 

(vii) यदि दिए गए नोटिस को स्वीकार करने के पश्चात् किंतु नोटिस की अवधि समाप्त होने से पूर्व, अधिकारी यह समझता है कि सेवानिवृत्ति पर जाने के लिए उसे मूल विनिर्दिष्ट तारीख के बाद कुछ और अधिक समय चाहिए तो उसे दिए गए नोटिस को वापिस लेने के लिए आवेदन करना चाहिए। सक्षम प्राधिकारी के अनुमोदन के बाद ही वह नोटिस वापिस लेने के लिए नए सिरे से नोटिस देने के लिए पुनः आवेदन करे। बहरहाल, ऐसे मामलों में, नोटिस वापिस लेने के अनुरोध के समर्थन में पर्याप्त कारण रिकॉर्ड करें। ग्रुप '' अधिकारियों के मामले में, चूंकि राष्ट्रपति नियुक्ति प्राधिकारी हैं, इसलिए दिए गए नोटिस की वापसी के लिए इस मंत्रालय का अनुमोदन आवश्यक है।

 

(viii) यदि सक्षम प्राधिकारी द्वारा नोटिस वापस लेने की स्वीकृति के पश्चात्, कोई अधिकारी भविष्य में पुनः स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति चाहता है, आवश्यक है तो उपयुक्त समय पर नए सिरे से नोटिस दिया जाना चाहिए लेकिन यह बात ध्यान में रखी जानी चाहिए कि ऐसा सरकार के अनुमोदन के अध्यधीन ही किया जाएगा। पहले के नोटिस को स्वीकार करने का यह अर्थ नहीं है कि दूसरा नोटिस स्वतः ही स्वीकार कर लिया जाएगा।

 

(ix) स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के नोटिस को हल्के तौर पर नहीं लेना चाहिए और सभी पहलुओं का मूल्यांकन करने के बाद ही दिया जाना चाहिए। ऐसे मामले में, जहां सेवानिवृत्ति होने के इरादे के बारे में बहुत अधिक परिवर्तन किए जाते हैं, वहां हो सकता है कि सरकार द्वारा इसे वापस लेने की अनुमति न दी जाए।

 

नोटिस वापस लेना

 

11.6 रेल कर्मचारी द्वारा दिया गया स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का नोटिस उसके द्वारा नियुक्ति प्राधिकारी के अनुमोदन से ही वापिस लिया जा सकता है, बशर्ते कि इसे वापिस लेने का अनुरोध नोटिस की अवधि की समाप्ति से पहले किया जाए, इस तथ्य पर ध्यान दिए बिना कि सक्षम प्राधिकारी ने स्वेच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए उसके अनुरोध को स्वीकार कर लिया है।

[संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 09.11.1977 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-77/आरटी-46, दिनांक 06.11.1990 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-99/आरटी-18 (आरबीई 196/1990) और दिनांक 05.11.2001 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-2000/आरटी-9 (आरबीई सं. 217/2001)]

 

11.7 सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए दिए गए नोटिस को वापस लेने के अनुरोध पर तर्कसंगत और तर्कयुक्त औचित्यपूर्ण तरीके से विचार किया जाना चाहिए और इस प्रकार के अनुरोध को तभी अस्वीकार करेगा, जब ऐसा करने के वैध कारण मौजूद हों, जो व्याख्यात्मक आदेश के माध्यम से रिकॉर्ड किए जाने चाहिए।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 27.03.2001 का पत्र सं.ई (पीएंडए)।-2000/आरटी-9, (आरबीई सं. 64/2001) एवं 05.11.2001 (आरबीई सं. 217/2001)

 

छुट्टी का प्रभाव

 

11.8 यदि कोई रेलवे कर्मचारी वास्तविक रूप से बिना ड्यूटी पर वापस लौटे 'छुट्टी देय नहीं' पर होते समय स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की योजना के अंतर्गत स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्ति की मांग करता है तो वह 'छुट्टी देय नहीं' के आरंभ होने की तारीख से सेवानिवृत्त हो जाएगा और ऐसी 'छुट्टी देय नहीं' के लिए किए गए छुट्टी वेतन के भुगतान को उससे वसूल किया जाएगा जैसा भारतीय रेल स्थापना संहिता वॉल. ।/1985 के नियम 528 में उल्लेख किया गया है।

11.9 ऐसा रेल कर्मचारी, जो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए नोटिस देता है, जमा छुट्टी के लिए नोटिस की अंतिम तारीख से पूर्व आवेदन कर सकता है, वह अपने खाते में जो उसे नोटिस की अवधि के साथ-साथ प्रदान की जाएगी। असाधारण छुट्टी को कर्मचारी के खाते में जमा छुट्टी के रूप में नहीं माना जाता है और इसलिए यह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति मांगे जाने के लिए कर्मचारी द्वारा दिए गए नोटिस की अवधि के साथ-साथ नहीं चलाई जा सकती है। यदि कोई रेल कर्मचारी चिकित्सा अवकाश के अलावा पहले से ही असाधारण छुट्टी पर होते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन करता है तो नोटिस अवधि पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता नहीं है और उसके अनुरोध को तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया जाए बशर्ते वह कर्मचारी सतर्कता के दृष्टिकोण से क्लियर हो। बहरहाल, यदि कोई रेल कर्मचारी चिकित्सा आधार पर पहले से ही असाधारण छुट्टी पर होते हुए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन करता है तो नोटिस अवधि, यदि कोई दी गई हो, उसे स्वीकार किया जाए और कर्मचारी को सतर्कता स्वीकृति के अध्यधीन नोटिस अवधि के समाप्त होने के पश्चात् सेवानिवृत्ति दे दी जाए।

[संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 09.11.1977 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-77/आरटी-46, दिनांक 22.08..1985 (आरबीई सं. 239/1985) और दिनांक 17.01.1979 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-78/सीपीसी/एफई-2 और रेलवे बोर्ड का दिनांक 30.07.2003 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-2003/आरटी-4 (आरबीई सं. 126/2003)]

 

अर्हक सेवा/सेवा के प्रति वेटेज

 

12. स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त हो रहा रेल कर्मचारी अर्हक सेवा को जोड़े जाने के रूप में अधिकतम पांच वर्ष तक की भारिता प्रदान किए जाने के लिए पात्र है, यदि वह पेंशनीय है और एससी से पीएफ के भुगतान के प्रयोजन के लिए सेवा में जोड़े जाने के रूप में, यदि वह एसआरपीएफ (योगदान) नियमों द्वारा शासित है। बहरहाल, यह लाभ इस शर्त पर दिया जाएगा कि लाभ सहित कर्मचारी की कुल अर्हक सेवा/सेवा किसी भी स्थिति में 33 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए और उसकी अधिवार्षिता की तारीख से आगे भी नहीं बढ़नी चाहिए। (

संदर्भ: बोर्ड का दिनांक 09.11.1977 एवं 9.11.1983 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-77/आरटी-46)

 

12.1 10.09.83 से प्रभावी, अर्हक सेवा/सेवा में संयोजन के रूप में अधिकतम पांच वर्ष का जो वेटेज दिया जाएगा उसका लाभ उन्हीं शतों के अध्यधीन होगा, जो ऊपर पैरा 10 में दी गयी है, समयपूर्व सेवानिवृत्ति चाहने वाले रेल कर्मचारियों को नियम 2046 (i) अथवा 2046 (1)-आर. 11/1973 तदनुरूपी नियम 1802 (ख) (i) अथवा 1803 (ख) अथवा 1804 (ख)-आर.।।/1987 अथवा रेल सेवा (पेंशन) नियमावली, 1993 का नियम 66 के प्रावधानों के अंतर्गत स्वीकार्य है।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 9.11.1977 एवं 9.11.1983 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-77/आरटी-46)

 

12.2 बहरहाल, वेटेज का लाभ उन रेल कर्मचारियों को स्वीकार्य नहीं होगा जिन्हें नियम 2046- (एच) अथवा 2046-(के) आर. 11/1971 के तदनुरूपी नियम 1802 (ख) (i) अथवा 1803 (क) अथवा 1804 (क)-आर. 11/1987 अथवा रेल सेवा (पेंशन) नियमावली, 1993 के नियम 66 के अनुसार सार्वजनिक हित में समयपूर्व सेवानिवृत्ति कर दिया जाता है।

(संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 9.11.1983 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-77/आरटी-46)

 

12.3 अर्हक सेवा/सेवा में संयोजन के रूप में दिया गया वेटेज पेंशन एवं उपदान/भविष्य निधि में विशेष अंशदान के भुगतान के प्रयोजन के लिए ही होगा और यह भविष्य निधि में सरकार अंशदान के प्रयोजन के लिए नहीं होगा। वेटेज देने से कर्मचारी पेंशनीय लाभ या भ.नि. में वि.अ. आकलित करने के उद्देश्य से वेतन के निर्धारण के लाभ का पात्र नहीं होगा जो केवल सेवानिवृत्ति की तारीख के संदर्भ में परिकलित की गयी वास्तविक परिलब्धियों पर आधारित होगा।

 

12.4 बहरहाल, वेटेज सेवानिवृत्ति के पश्चात् मिलने वाले पासों के लिए गिना जाएगा। (संदर्भ:- बोर्ड का दिनांक 9.11.1977 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-77/आरटी-46)

 

वे कर्मचारी जिन पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना लागू नहीं होती है।

 

13. अर्हक सेवा/सेवा के लिए वेटेज के लाभ सहित 20 वर्ष की अर्हक सेवा पूरी करने पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की योजना निम्नलिखित पर लागू नहीं होगी:-

 

(क) स्वायत्त निकायों तथा सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों में प्रतिनियुक्ति पर गए वे रेल कर्मचारी जो उधार लेने वाले संगठन में समाहित होना चाहते हैं।

 

(ख) वे रेल कर्मचारी जो संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों में प्रतिनियुक्ति पर हैं तथा उनमें समाहित होना चाहते हैं। (संयुक्त क्षेत्र के उपक्रम वे उपक्रम हैं जो केन्द्र सरकार तथा एक राज्य सरकार अथवा दो या जो से अधिक राज्य सरकारों के संयुक्त नियंत्रणाधीन हैं)।

 

(ग) वैज्ञानिकों अथवा तकनीकी विशेषज्ञों सहित वे रेल कर्मचारी जो-

 

(i) विदेश मंत्रालय के तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम तथा दूसरे सहायता कार्यक्रमों के अधीन नियुक्ति पर है।

(ii) मंत्रालयों/विभागों के विदेशों में स्थित कार्यालयों में तैनात है, अथवा

(iii) विदेशी सरकार में एक विशिष्ट ठेका अनुबंध पर हैं।


वे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के तभी पात्र होंगे जब उन्हें भारत में स्थानांतरित कर दिया जाता है। वे भारत में पद का कार्यभार ग्रहण कर लेते हैं तथा कम-से-कम एक वर्ष की अवधि तक नौकरी कर लेते हैं।

 

बहरहाल, यूएन/अंतरराष्ट्रीय संगठनों में प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों के मामले में भारत में पद पर कार्यभार ग्रहण करने के उक्त प्रतिबंध और स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए एक वर्ष से कम अवधि लागू नहीं होगी। दूसरे शब्दों में जो अधिकारी यूएन/अंतरराष्ट्रीय संगठनों में प्रतिनियुक्ति पर हैं, वे उक्त पैरा (ग) में यथा विनिर्दिष्ट किसी भी शर्त के बिना प्रतिनियुक्ति की अवधि के दौरान या उसके बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग करने के लिए अर्हक हैं।

(बोर्ड का दिनांक 05.07.2004 का पत्र सं. ई (पीएंडए)।-2004/आरटी-4 (आरबीई सं. 142/2004)

 

13.1 बहरहाल, यह योजना उन रेल कर्मचारियों पर लागू होगी जो केन्द्र सरकार के दूसरे विभागों, राज्य सरकारों, संघ शासित प्रदेशों की सरकारों में प्रतिनियुक्ति पर हैं। ऐसे रेल कर्मचारियों की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के नोटिस का अनुरोध जांच तथा स्वीकृति के लिए अन्यथा रेलवे के मूल विभाग को अग्रेषित किया जाना चाहिए। अर्हक सेवा सेवा के लिए वेटेज रेल कर्मचारी द्वारा उधार लेने वाले विभाग तथा मूल विभाग में की गयी कुल सेवा पर दिया जाएगा।

(संदर्भ: बोर्ड के 9.11.77, 2.8.85 का पत्र सं.ई (पी एंड ए) 1-77/आरटी/46 (आरबीई 219/1985) एवं 8.10.85 का पत्र सं.ई (पी एंड ए) 1-85/आरटी/14 (आरबीई 278/1985)

 

अस्थायी रेल कर्मचारी

14. वे अस्थायी रेल कर्मचारी, जो 30.9.86 अथवा उसके पश्चात सेवा में थे, तथा 20 वर्ष अथवा अधिक की सेवा पूरी हो जाने पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति चाहते हैं, पेंशन नियमों के प्रावधानों के अनुसार पारिवारिक पेंशन सहित आनुपातिक पेंशनीय लाभ पाने के पात्र हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के अंतर्गत सेवानिवृत्ति के लिए शर्ते यथोचित परिवर्तनों सहित लागू होंगी। सेवा की उस अवधि को छोड़ दिया जाएगा जो पेंशन के प्रयोजन के लिए अर्हक नहीं समझी जाएंगी। सेवा में व्यवधान, यदि हो, से पिछली सेवा अपवर्तित हो जाएगी जब तक उसे माफ नहीं कर दिया जाता है। (संदर्भ:- बोर्ड का 7.11.86 का पत्र सं, ई (पी एंड ए) 1-85/एफई-4/7 (आरबीई 216/1986)

 

15. वह रेल कर्मचारी, जो लगातार बीमार है। उसके साथ दुर्घटना हो गई है या अन्यथा सभी उपलब्ध छुट्टियों को समाप्त करने के पश्चात असाधारण छुट्टी पर रहने के लिए बाध्य है, तथा जो शारीरिक दृष्टि से अशक्त या विकोटिकृत नहीं है, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए नोटिस दिए जाने का पात्र है, यदि वह ऐसा करने का इच्छुक है तथा साथ ही साथ नटिस की संपूर्ण अवधि और स्वीकृत असाधारण छुट्टी के असमाप्त हिस्से में कटौती चाहता है। ऐसा नोटिस स्वीकार किया जा सकता है तथा रेल कर्मचारी को उस तारीख के अपराह्न से सेवानिवृत्त किया जा सकता है जिस तारीख को नोटिस दिया गया है। नियम 2046-आर.11/ 1973/नियम/1802 (बी) (1), 1803 (बी)/1804 (बी)-आर. 11/1987 अथवा रेलवे सेवा (पेंशन) नियमावली 1993 के नियम 66 के प्रावधानों के अनुसार समयपूर्व सेवानिवृत्ति चाहने वाले रेल कर्मचारियों के मामले में यहां दी गयी सुविधा लागू नहीं होगी।

(संदर्भ:- बोर्ड का 29.4.88 का पत्र सं.ई (पी एंड ए) 1-36/आरटी/19 (आरबीई 91/1988)

 

अन्य प्रावधान

 

16. वह अस्थायी रेल कर्मचारी, जिसकी सेवाएं अनुशासन एवं अपील नियमों के अध्यधीन दंड के रूप में न होकर अन्य प्रकार से सरसरी तौर पर समाप्त की गयी है, नोटिस की अवधि के बदले वेतन तथा भत्तों के लिए दावा करने का पात्र है। यह प्रशासन का कर्तव्य है कि वह उसके सेवा से मुक्त होने पर तत्काल भुगतान की व्यवस्था करें।

(संदर्भ: बोर्ड का 9.1.75 का पत्र सं. ई (एनजी) 11/72 आरजी-1)

 

16.1 निलंबनाधीन रेल कर्मचारी के मामले में, नियम 2046-आर. 11/1973/1802 (बी), 1803 (बी) (1), 1804 (बी) आर. 11/1987 अथवा रेलवे सेवा (पेंशन) नियमावली 1993 के नियम 66 के प्रावधानों के अनुसार सेवानिवृत्ति के लिए उसके द्वारा अधिकार का प्रयोग नियुक्ति करने वाले अधिकारी के पूर्व अनुमोदन के अध्यधीन किया जाएगा।

(संदर्भ: बोर्ड का 18.8.66 का पत्र सं. ई (डी एंड ए) 65/आरजी 6/54 और रेलवे सेवा (पेंशन) नियमावली 1993 का पैरा 66)

 

16.2 अंतरराष्ट्रीय संगठनों/विदेशी सरकार में नौकरी करने वाले रेल कर्मचारी के इस अधिकार पर कोई प्रतिबंध नहीं है कि विदेश में सेवा के दौरान वह समयपूर्व सेवानिवृत्ति चाहता है यदि वह ऐसा करने का पात्र है।

(संदर्भ:-बोर्ड का 17.1.1977 का पत्र सं.ई (एनजी) 11/76/आरजी1)

 

16.3 सार्वजनिक क्षेत्र/स्वायत्त निकाय में प्रतिनियुक्ति पर गया रेल कर्मचारी उसमें समाहित होने के लिए नियम 2046-आर11/1973/1802 (बी), 1803 (बी) (1), 1804 (बी)-आर।।/1987 अथवा रेलवे सेवा (पेंशन) नियमावली 1993 के नियम 66 के अधीन समयपूर्व सेवानिवृत्ति लेने का पात्र है लेकिन इसके लिए अर्हक सेवा/सेवा के लिए वेटेज का कोई लाभ नहीं दिया जाएगा।

(संदर्भ: बोर्ड का 2.8.85 (आरबीई 219/1985) एवं 15.10.85 (आरबीई 248/1985) का पत्र सं.ई (पीएंडए) 1-77/आरटी/46)

 

16.4 नियमों के अंतर्गत उपलब्ध स्वयं के विकल्प पर जब कोई रेल कर्मचारी एक स्वैच्छिक/तयपूर्व ढंग से सेवानिवृत्त हो जाता है तो महाप्रबंधक को उसे पुनः नियुक्त करने का कोई अधिकार नहीं है।

 (संदर्भः बोर्ड का 29.05.1984 का पत्र सं.ई (पीएंडए) 1-77/आरटी/46)

 

16.5 सेवानिवृत्त रेल कर्मचारी को उसकी सेवानिवृत्ति से पूर्व उसकी सरकारी डयूटी या पद से संबद्ध मामलों के बारे में प्राईवेट पार्टी द्वारा उसके विरुद्ध शुरू की गई कानूनी कार्यवाहियों को संचालित करने के लिए कानूनी और वित्तीय सहायता उसी तरह उपलब्ध करायी जाए जैसी सेवारत रेल कर्मचारी को उपलब्ध करायी जाती हैं लेकिन इसमें निम्नलिखित मामले शामिल नहीं होंगेः-

 

(i) यह लाभ उन कर्मचारियों को स्वीकार्य नहीं होगा जिन्हें दंड के उपाय के रूप में सेवानिवृत्त कर दिया जाता है; और

 

(ii) ब्याज रहित अग्रिम की राशि अधिक-से-अधिक 500 रुपये होगी (जहां-कहीं अग्रिम स्वीकृत किया जाता है वहां बंध-पत्र प्राप्त किए जाएं और जहां-कहीं अपेक्षित हो वहां संघ लोक सेवा आयोग से परामर्श किया जाए)

(संदर्भ: बोर्ड का 12.5.1977 का पत्र सं.ई (जी)/77/एलएल 1/3)

 

16.6. संवर्ग की पुनसंरचना का लाभ उस सेवानिवृत्त रेल कर्मचारी को स्वीकार्य होगा जो पुनर्सरचना की निर्णायक तारीख को सेवा में था लेकिन पुनर्सरचना आदेशों को कार्यान्वित करने से पहले सेवानिवृत्त हो गया था। यह लाभ केवल पहली पदोन्नति के लिए दिया जाएगा। यदि रेल कर्मचारी अन्यथा पात्र और उपयुक्त हो और वह किसी अनुवर्ती पदोन्नति के लिए पात्र नहीं होगा। चाहे यह पदोनत्ति पुनर्सरचना आदेशों के अनुसार दी जानी थी। उच्च ग्रेड में नोशनल या प्रोफार्मा वेतन स्वीकार्य होगा और सेवानिवृत्ति लाभ के निर्धारण के लिए इसे परिकलित किया जाएगा। (संदर्भः बोर्ड का 22.8.1986 का पत्र सं. पीसी-III/85/ यूपीजी/15 (आरबीई 138/1986)

 

16.7 स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के तहत स्वैच्छिक रूप से सेवानिवृत्त होने वाला रेल कर्मचारी यात्रा भत्ते के लिए वैसे ही हकदार है जैसा सामान्य सेवानिवृत्ति पर जाने वाला कर्मचारी हकदार है। (संदर्भः बोर्ड का 12.6.1980 का पत्र सं. पीसी ।।/78/टीए-1/12)

 

17. (1) इस मास्टर परिपत्र को पढ़ते समय सही मूल्यांकन के लिए इसमें उल्लिखित मूलपत्रों/संदर्भों को पढ़ा जाए। यह परिपत्र मौजूदा अनुदेशों का संकलन मात्र है। ऐसा न समझा जाए कि यह मूल पत्रों के बदले में है। संदेह की स्थिति में मूल परिपत्र को प्रामाणिक मानकर इस पर भरोसा किया जाए।

 

(2) जब तक अन्यथा उल्लेख न किया गया हो, तो मूल पत्रों में अंतर्विष्ट अनुदेश उनके जारी होने की तारीख से प्रभावी होंगे।

 

(3) यह समेकित पत्र तैयार करते समय, यदि इस विषय पर किसी परिपत्र को, जिसका अधिक्रमण नहीं किया गया है, ध्यान में नहीं लिया गया हो तो गलती से छूट गए उस परिपत्र की अनदेखी न की जाए और उसे वैध तथा प्रभावी माना जाए।

 

18. इस मास्टर परिपत्र को तैयार करने के लिए जिन पत्रों / संदर्भों को ध्यान में रखा गया है उनका उल्लेख अनुबंध में किया गया है।

 

संलग्नः पत्र सं. तथा तारीख दर्शाने वाली सूची।

 

(एन.पी. सिंह)

संयुक्त निदेशक, स्थापना (पी एंड ए)

रेलवे बोर्ड

 

उन पत्रों की संदर्भ संख्या और तारीख दर्शाने वाली सूची, जिनके आधार पर मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है।

 

क्र.सं. पत्र संख्या

1. पीसी-62/आरटी-1      05.12.62

2. ई (डी एंड ए) 65 आरजी 6/54

3. पीसी-67/आरटी-9      08.09.67

4. पी सी III/73/ आरटी-4

5. पी सी III/73/ आरटी-4

6. पी सी III/73/ आरटी-4

7. ई (एनजी) 11/72/ आर जी)

8. एफ (ई) III/75/एलई 1/1

9. ई (पी एंड ए) 1-75/आरटी-15

10. ई (एनजी) 11/76/आरजी 1       17.01.77

11. ई (जी) 77/एलएल 1/3             12.05.77

12. पीसी-III/73/आरटी/4         06.06.77

13. ई (पी एंड ए) 1-77/आरटी/46        09.11.77

14. एफ (एक्स) 1/75/11/8                07.12.77

15. ई (जी) 78/आरटी/2/10                03.07.78

16. ई (पी एंड ए) 1-75/आरटी-15         19.10.1978

17. ई (पी एंड ए) 1-78 / सीपीसी / एफई-2    17.1.1979

18. ई (पी एंड ए) 1-79 / ईएम ½            07.5.1979

19. ई (पी एंड ए) 1-79 / आरटी-9           08.6.1979

20. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46          19.6.1979

21. ई (पी एंड ए) ।-79/ जेसीएम डीसी-3      05.9.1979

22. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46       26.5.1980

23. पीसी-111/78 / टीए 1/12            12.6.1980

24. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46      12.9.1980

25. ई (पी एंड ए) 1-77/ आरटी-46      10.2.1981

26. ई (पी एंड ए) 1-81 / आरटी-4      01.6.1981

27. ई (पी एंड ए) ।-81 / आरटी-11 (पार्ट ।)    25.10.1982

28. ई (पी एंड ए) 1-82 / आरटी-16    18.12.1982

29. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46     21.5.1983

30. ई (पी एंड ए) 1-82 / आरटी-4      06.8.1983

31. ई (पी एंड ए) 1-83 / आरटी-11     03.11.1983

32. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46      09.11.1983

33. एफ (ई) III / 82 / एलई 1/2         29.12.1983

34. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46      29.5.1984

35. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46      28.5.1984

36. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46       2.8.1985

37. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46      22.8.1985

38. ई (पी एंड ए) 1-85 / आरटी-14        22.8 1985

39. ई (पी एंड ए) 1-77 / आरटी-46        15.10.1985

40. ई (पी एंड ए) 1-83 / आरटी-20         9.5.1984

41. पीसी- III / 85 / यूपीजी / 15           22.8.1986

42. पीसी- IV / 86 / एलई / 1                24.10.1986

43. ई (पी एंड ए) 1-85 / एफई-4/7          7.11.1986

44. ई (पी एंड ए) 1-86 / आरटी-19         29.4.1988

45. ई (पी एंड ए) 1-88 / आरची-25        14.12.1988

46. ई (पी एंड ए) 1-83 / आरटी-20         06.04.1989

47. ई (पी एंड ए) 1-90 / आरटी-18          6.11.1990

48. ई (पी एंड ए) 1-92 / आरटी-5           13.07.1992

49. ई (पी एंड ए) 1-94 / आरटी-8            8.5.1995

50. ई (पी एंड ए) 1-98 / आरटी-6            14.5.1998

51. ई (पी एंड ए) 1-98 / आरटी-6              22.7.1998

52. ई (पी एंड ए) 1-2000 / आरटी-9          27.3.2001

53. ई (पी एंड ए) 1-2000 / आरटी-9          05.11.2001

54. ई (पी एंड ए) 1-2003 / आरटी-4          30.07.2003

55. ई (पी एंड ए)1-2004 / आरटी-4            05.07.2004

56. ई (पी एंड ए) 1-2007 / आरटी-8           13.12.2007

57. एफ (ई)III/2008/एलई-1/2                  13.04.2010

58. ई (पी एंड ए) 1- 2016 / आरटी-16         20.09.2018

59. ई (जी) 99 आरटी 1-1                         18.02.2000

60. भारतीय रेल स्थापना नियमावली- पैरा-2603

61. भारतीय रेल स्थापना कोड वॉल्यूम 1/1985

62. भारतीय रेल स्थापना कोड वॉल्यूम 1/1985

63. रेल सेवा (पेंशन) नियम 1993 के नियम 66, 1993

64. आईआरईसी वॉल्यूम-11/1987 के नियम 1801, 1802, 1803 और 1804

 

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